Namami Gange Yojana के प्रमुख उद्देश्य और महत्वपूर्ण अपडेट्स जानिए

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Namami Gange Yojana 2023: नमामि गंगे योजना के प्रमुख उद्देश्य और महत्वपूर्ण अपडेट्स जानिए। यह आपको गंगा नदी के संरक्षण और पुनर्जीवित करने के लिए सरकारी कार्यक्रम के बारे में नवीनतम जानकारी प्रदान करेगा। क्लिक करें और अभी पढ़ें!

गंगे योजना भारत सरकार द्वारा 2014 में शुरू की गई है। यह योजना गंगा नदी और उसकी सहायक नदियों को स्वच्छ और अविरल बनाने का उद्देश्य रखती है। गंगा नदी भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और प्राचीन काल से ही इसे “गंगा मां” की संज्ञा दी गई है। हमेशा से माना जाता है कि गंगा नदी में स्नान करने से व्यक्ति के पाप धो जाते हैं।

हाल ही में कुछ सालों में, गंगा नदी प्रदूषित हो गई है। इसीलिए भारत सरकार ने नमामि गंगे योजना को शुरू की है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य है गंगा नदी को प्रदूषण से बचाना।

नमामि गंगे योजना के तहत कई कदम उठाए जाते हैं, जैसे कि नदी में से अपशिष्टों को हटाने के लिए नदी ट्रेनचुआरी के निर्माण का कार्य, गंगा किनारे स्थित नगरों में सीवेज तथा प्रदूषण नियंत्रण के लिए सभी स्थानों पर सीवरेज योजनाओं का निर्माण, और जल संरक्षण के लिए जलाशयों के निर्माण आदि।

नमामि गंगे योजना के अंतर्गत कई राज्यों को लाभ मिलता है, जैसे उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल, झारखंड, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, उड़ीसा और झारखंड।

इस योजना के माध्यम से, गंगा नदी को पुन: प्राकृतिक स्थिति में लाने का प्रयास किया जा रहा है और लोगों को जागरूक करने के लिए जागरूकता अभियान भी चलाया जाता है। नमामि गंगे योजना भारतीय संस्कृति और पर्यावरण के लिए बहुत महत्वपूर्ण है और यह गंगा नदी के संरक्षण और सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।

Namami Gange Yojana की जानकारी

योजना का नामनमामि गंगे योजना
योजना द्वारा प्रारंभ की गई हैभारत सरकार
योजना मुख्य उद्देश्यगंगा को प्रदूषण मुक्त बनाना है
योजना की घोषणाअरुण जेटली
लाभ40 फीसद भारतीयों को स्वच्छ वातावरण व स्वच्छ जल
उद्देश्यगंगा नदी को स्वच्छ सुरक्षित और प्रदूषणमुक्त बनाना है
योजना की आधिकारिक वेबसाइटnmcg.nic.in
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नमामि गंगे योजना क्या है?

नमामि गंगे योजना एक परियोजना है जो केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई है। इसका उद्देश्य गंगा नदी को साफ़ और सुंदर बनाना है। इस परियोजना के अंतर्गत, गंदे पानी के स्रोतों को रोका जाएगा ताकि केवल स्वच्छ जल ही गंगा में प्रवाहित हो। इसके लिए, इस 2500 किलोमीटर लंबी नदी पर कई घाट और सफाई केंद्र बनाए जा रहे हैं। यह प्रयास गंगा की महत्त्वपूर्णता को समझते हुए किया जा रहा है। यह एक महत्वपूर्ण पहल है जो हमारे प्रकृति और पानी की संरक्षण में मदद करेगी।

1985 में भारत सरकार ने ‘गंगा एक्शन प्लान’ के तहत गंगा की सफाई के लिए एक अभियान चलाया था। हालांकि, उस समय इस अभियान को पर्याप्त वित्तीय संसाधन और संरचनात्मक समर्थन की कमी के कारण पूरी तरह से सफल नहीं किया जा सका। इसके बावजूद, इस अभियान ने गंगा की सफाई के महत्त्वपूर्ण मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया और इसे समाधान के लिए पहल की थी।

Namami Gange Project

गंगा नदी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके साथ-साथ सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व भी जुड़ा हुआ है। इस नदी पर भारत की 40% जनसंख्या निर्भर करती है। प्रधानमंत्री ने 2014 में न्यूयॉर्क के मैडिसन स्क्वायर गार्डन में एक समारोह में भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए कहा था कि गंगा नदी को साफ करने और पुनर्जीवित करने से यह देश की 40% आबादी के लिए महत्वपूर्ण सहायक बनेगी। इसलिए, गंगा की सफाई एक आर्थिक आवश्यकता भी है।

इस मंशा को पूरा करने के लिए सरकार ने ‘नमामि गंगे’ नामक एक एकीकृत गंगा संरक्षण मिशन की शुरुआत की है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस नदी की सफाई के लिए बजट को चार गुना बढ़ाकर 2019-2020 तक 20,000 करोड़ रुपए खर्च करने की केंद्रीय योजना को मंजूरी दी है और इसे 100% केंद्रीय हिस्सेदारी के साथ एक केंद्रीय योजना के रूप में शामिल किया गया है। यह योजना केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा कायाकल्प मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित की जा रही है।

नमामि गंगे योजना के उद्देश्य

नमामि गंगे योजना के मुख्य उद्देश्य इसकी प्राकृतिकता और संरक्षण को बढ़ावा देना है। इसके अंतर्गत, नदी के प्रदूषण को कम करने, साथ ही नदी के तटों की सुरक्षा, पर्यावरणीय विकास, और जल संरक्षण को मजबूत करने का प्रयास किया जाता है।

  1. नदी का स्वच्छ बनाना: यह योजना मुख्य रूप से गंगा नदी को स्वच्छ और प्रदूषणमुक्त बनाने का उद्देश्य रखती है। इसके अंतर्गत नदी में निकलने वाले जलीय प्रदूषण, कार्बनिक पदार्थों, और प्लास्टिक सामग्री को नदी से हटाने के लिए कड़ी मेहनत की जाती है।
  2. जल संरक्षण: योजना का एक महत्त्वपूर्ण उद्देश्य गंगा नदी के जल संरक्षण को बढ़ाना है। इसके लिए जल संरक्षण के लिए नदी के स्रोतों की सुरक्षा, जल बचाव, और जल संरक्षण के प्रोत्साहन के उपाय अपनाए जाते हैं।
  3. पर्यावरणीय संरक्षण: यह योजना पर्यावरणीय संरक्षण को बढ़ाने के लिए नदी की संरक्षा के लिए उच्च प्राथमिकता देती है। इसके तहत पर्यावरणीय संरक्षण कार्यक्रम जैसे वनों की विस्तार, बायो-डाइवर्सिटी के संरक्षण, जलवायु परिवर्तन से लड़ाई, और जैव उद्यानों की संरक्षा शामिल हैं।
  1. गंगा के तटों की सुरक्षा: योजना गंगा के तटों की सुरक्षा और उनके अवरोधन से बचाव के लिए पहल करती है। इसके द्वारा तटों के तत्कालीन सतहों का उन्नयन, तटों की उच्चता की रक्षा, और तटों के उपयोग की सुरक्षा को मजबूती दी जाती है।
  2. प्रदूषणमुक्त गांवों का विकास: योजना का एक अन्य महत्वपूर्ण उद्देश्य है प्रदूषणमुक्त गांवों का विकास करना। इसके अंतर्गत गांवों के जल प्रदूषण को कम करने के लिए जल संरचनाएं निर्माण की जाती हैं और जल संयंत्रों की स्थापना होती है।

नमामि गंगे योजना के मुख्य बिंदु

जल शक्ति मंत्रालय के एक आधिकारिक जवाब के अनुसार, ‘नमामि गंगे’ कार्यक्रम के द्वारा विभिन्न कार्यों पर केंद्रित हुआ है। इसके तहत, अपशिष्ट जल का उपचार, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, रिवर फ्रंट प्रबंधन (घाटों और श्मशान घाटों का विकास), ई-प्रवाह, और अन्य कार्रवाईयाँ की गई हैं। इसके अलावा, गंगा और उसकी सहायक नदियों के कायाकल्प के लिए वनीकरण, जैव विविधता संरक्षण, और जनभागीदारी जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर काम किया जा रहा है।

अब तक, 31 दिसंबर, 2022 तक कुल 409 परियोजनाओं की शुरुआत हुई है, जिनमें से 232 परियोजनाएं पूरी की गई हैं और उन्हें प्रचालित किया गया है। इन परियोजनाओं की अनुमानित लागत 32,912.40 करोड़ रुपये है।

इन परियोजनाओं में सबसे अधिक परियोजनाएं सीवेज इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण से संबंधित हैं, क्योंकि अपशिष्ट जल नदी में प्रदूषण का मुख्य कारण है। सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) की क्षमता को बढ़ाने और सीवरेज नेटवर्क को विस्तारित करने के लिए 177 परियोजनाएं शुरू की गई हैं। इनमें से 99 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं और उनका कार्यान्वयन संपन्न हो गया है। कुल मिलाकर, 26,673.06 करोड़ रुपये की लागत से 5,269.87 मिलियन लीटर प्रतिदिन की क्षमता वाले सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स और 5,213.49 किलोमीटर सीवरेज नेटवर्क बनाए गए हैं।

इन सभी कार्यों को स्थायी रूप से संचालित रखने के लिए हाइब्रिड वार्षिकी आधारित पीपीपी मोड का उपयोग किया जा रहा है।

‘नमामि गंगे’ कार्यक्रम के तहत, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) संबंधित राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों (एसपीसीबी) के माध्यम से गंगा नदी के जल गुणवत्ता मूल्यांकन के लिए 97 स्थानों पर अध्ययन किया जा रहा है।

Namami Gange Project और मुख्य विशेषताएं

  1. शौचालयों के विकास: ग्रामीण क्षेत्रों में उचित शौचालयों के निर्माण के माध्यम से, नदी के किनारे खुले में शौच करने की समस्या को दूर करने का प्रयास किया जाएगा। इससे नदी में कचरा नहीं बहेगा और प्रदूषण कम होगा।
  2. तरल और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन: तरल और ठोस अपशिष्ट को नदी में डंप करने से रोकने के लिए, नदी के किनारों पर तरल और ठोस अपशिष्ट का उचित उपचार करने के लिए संयंत्र बनाए जाएंगे। इससे नदी का पानी प्रदूषित नहीं होगा।
  3. श्मशान घाटों का विकास: गंगा के घाटों के विकास के माध्यम से जैसे कि बनारस में, श्मशान के स्थलों को सुविधाजनक बनाया जाएगा। यहाँ कचरा का ठीक से उपचार किया जाएगा ताकि नदी में पानी प्रदूषित न हो।
  4. ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की सुविधा का विकास: ठोस अपशिष्ट प्रबंधन संयंत्रों के निर्माण से, नदी में ठोस अपशिष्ट को डंप करने से पहले उसका उचित उपचार होगा। इससे नदी का पानी प्रदूषित नहीं होगा।
  1. ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता को बढ़ावा: सरकार गंगा के किनारे स्थित गांवों में जागरूकता फैलाने के लिए प्रयास करेगी। लोगों को शौचालय का उपयोग करने और खुले में शौच करने के बारे में सिखाया जाएगा। सरकार इसमें ग्रामीणों की सहायता करेगी और स्थाई शौचालयों के निर्माण में मदद करेगी।

नमामि गंगे प्रोजेक्ट को तीन स्तरों में विभाजित किया गया है:

प्रथम स्तर:

  1. नालों के पानी का उपचार: तुरंत प्रभाव देने के लिए, नदी में बहने वाले नालों के पानी का उपचार किया जाएगा। इससे नदी का पानी प्रदूषणमुक्त होगा।
  2. घाटों का सौंदर्यीकरण: नदी के घाटों को सुंदर बनाने के लिए सौंदर्यीकरण की योजना बनाई जाएगी। यह नदी की दृश्यमान सुंदरता को बढ़ाएगी।
  3. नदी के तल की सफाई: नदी के तल को साफ करने के माध्यम से, कचरा और दूषित पदार्थ हटाए जाएंगे। इससे नदी स्वच्छ और प्रदूषणमुक्त बनी रहेगी।
  4. ग्रामीण स्वच्छता: ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता को बढ़ाने के लिए पहल की जाएगी। ग्रामीण क्षेत्रों में शौचालयों का निर्माण किया जाएगा और जनता को जागरूक किया जाएगा।

द्वितीय स्तर:

  1. सीवेज क्षमता वृद्धि: नगर निगम और नगर पालिकाओं को सीवेज क्षमता बढ़ाने के लिए कदम उठाए जाएंगे। इससे शहरी क्षेत्रों का प्रदूषण नदी में नहीं पहुंचेगा।
  2. कचरे की समस्या का निवारण: कचरे की समस्या को हल करने के लिए कदम उठाए जाएंगे। सभी प्रदूषणकर तत्वों को सुरक्षित और सही ढंग से निपटाने की व्यवस्था की जाएगी।
  3. वृक्षारोपण: वृक्षारोपण के माध्यम से हरित भूमि का विस्तार किया जाएगा। इससे नदी के प्रदूषण को कम करने में मदद मिलेगी और प्राकृतिक संतुलन को बनाए रखेगी।

तृतीय स्तर:

  1. नदी के प्रवाह की सुरक्षा: दीर्घकालिक सुरक्षा के लिए, नदी के प्रवाह की सुरक्षा के उपाय अपनाए जाएंगे। इससे नदी का प्राकृतिक प्रवाह सुरक्षित रहेगा।
  2. जल का बेहतर उपयोग: जल की व्यवस्था के माध्यम से जल का बेहतर उपयोग किया जाएगा। इससे सुनिश्चित होगा कि नदी का पानी उचित रूप से प्रयोग होता है और व्यर्थ नहीं होता।
  3. सिंचाई क्षमता वृद्धि: कृषि क्षेत्रों में सिंचाई की क्षमता बढ़ाने के लिए कदम उठाए जाएंगे। इससे ज्यादा जल का उपयोग होगा और नदी का प्रदूषण कम होगा।

नमामि गंगे योजना के लाभ

नमामि गंगे योजना के अनुसार, कई लाभ हैं जो इस योजना के माध्यम से हासिल हो सकते हैं। यहां हम कुछ मुख्य लाभों पर विचार करेंगे:

प्रदूषण नियंत्रण
नमामि गंगे योजना का सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य गंगा नदी के प्रदूषण को कम करना है। यह योजना प्रदूषण नियंत्रण तकनीकों का उपयोग करके गंगा को स्वच्छ और प्रदूषण-मुक्त बनाने का प्रयास कर रही है।

जल संरक्षण और संग्रह
नमामि गंगे योजना के तहत, जल संरक्षण और संग्रह के लिए विभिन्न उपायों का विकास किया जा रहा है। इसमें जल संरचना और जल संग्रह के प्रोजेक्ट्स, बांधों, तालाबों, और नलकूपों का निर्माण और प्रबंधन शामिल है। इससे गंगा के जल संसाधन का संरक्षण होगा और जलस्रोतों का निर्वाह सुनिश्चित होगा।

जल प्रदूषण कमी
नमामि गंगे योजना के अंतर्गत, गंगा के जल प्रदूषण को कम करने के लिए नवीनतम प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जा रहा है। प्रदूषण नियंत्रण सुविधाएं, स्थानीय प्रदूषण नियंत्रण इकाइयों का निर्माण, और गंगा के पानी की गुणवत्ता के लिए नए उपाय विकसित किए जा रहे हैं। इससे गंगा के प्रदूषण का स्तर कम होगा और जल प्रदूषण से होने वाली बीमारियों का प्रबंधन किया जा सकेगा।

गंगा के आस-पास विकास
नमामि गंगे योजना का एक महत्वपूर्ण पहलु गंगा के आस-पास क्षेत्रों के विकास को प्रोत्साहित करना है। यह योजना उन्नति प्रोजेक्ट्स के माध्यम से गंगा के तटीय इलाकों को सुंदर, पर्यावरणीय और पर्यटन स्थलों के रूप में विकसित करने का प्रयास कर रही है। इससे क्षेत्रीय विकास, रोजगार के अवसर, और पर्यटन उद्योग को बढ़ावा मिलेगा।

रोजगार के अवसर
नमामि गंगे योजना के अनुसार, गंगा के आस-पास क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। इस योजना के अंतर्गत कई पर्यटन प्रोजेक्ट्स, जल संबंधित प्रदर्शनी केंद्र, नौकायन और जलयान संचालन, और पानी संबंधित गतिविधियां विकसित की जा रही हैं। इससे स्थानीय आदिवासी समुदायों को रोजगार का मौका मिलेगा और उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।

Namami Gange Yojana की ख़ास बातें

नमामि गंगे योजना भारत सरकार की गंगा नदी के संरक्षण और प्रदूषण को कम करने के लिए शुरू की गई एक महत्वपूर्ण पहल है। इस योजना के तहत कई ख़ास बातें हैं जो इसे अनूठा और महत्वपूर्ण बनाती हैं। यहां हम नमामि गंगे योजना की ख़ास बातों की चर्चा करेंगे:

  1. प्रदूषण कमी के उपाय: नमामि गंगे योजना का मुख्य उद्देश्य है गंगा नदी के प्रदूषण को कम करना। इसके लिए योजना में प्रदूषण के स्रोतों को पहचाना गया है और उन्हें नियंत्रित करने के लिए उपायों का विकास किया जा रहा है। यह सिलानियों का नियंत्रण, धातु और अन्य जहरीले पदार्थों के नियंत्रण, स्वच्छ और प्रभावी स्टप डंपिंग, और नियमित मॉनिटरिंग जैसे उपायों को शामिल करता है।
  2. बढ़ते पर्यटन का विकास: गंगा नदी के तटों पर कई पर्यटन स्थल स्थित हैं जो भारतीय और विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। नमामि गंगे योजना के अंतर्गत, इन पर्यटन स्थलों के विकास का ध्यान रखा जा रहा है। इसके लिए स्थानीय पर्यटन क्षेत्रों के प्रबंधन, पर्यटन आधारित रोजगार की समर्थन, और पर्यटन व्यवसाय के विकास के उपाय अपनाए जा रहे हैं।
  1. गंगा की सफाई और जीवनशैली का संरक्षण: नमामि गंगे योजना के तहत गंगा की सफाई और जीवनशैली का संरक्षण भी महत्वपूर्ण है। इसके लिए संयुक्त प्रयास किए जा रहे हैं जैसे कि जल संसाधन के प्रबंधन, मलबा की नियंत्रण योजनाएँ, और बायोडिवर्सिटी के संरक्षण पर प्रोत्साहन।
  2. संरचनात्मक विकास: नमामि गंगे योजना के अंतर्गत गंगा के तटों पर विकसित हो रहे संरचनात्मक परियोजनाओं का विकास भी है। इसमें घाट, प्रमेशवर और आर्टिफिशियल टेक जैसे संरचनात्मक विकास को शामिल किया जा रहा है जो तटीय क्षेत्रों को सुंदरता और प्राकृतिकता के साथ विकसित करेंगे।
  3. जल संचय और आपदा प्रबंधन: नमामि गंगे योजना के तहत, जल संचय और आपदा प्रबंधन को महत्व दिया जा रहा है। इसके लिए जल संचय और बांध निर्माण, जल वापसी योजनाएँ, और बाढ़ और जलप्रलय के खिलाफ तंत्र का विकास किया जा रहा है। यह सुनिश्चित करेगा कि गंगा की जल संरचना और उपयोग स्थायी और सुरक्षित हो।
  1. आपदा प्रबंधन: नमामि गंगे योजना के अंतर्गत गंगा के तटीय क्षेत्रों में आपदा प्रबंधन को ध्यान में रखा गया है। यह आपदा प्रबंधन की क्षमता को बढ़ाने, संगठन और प्रतिक्रियाओं को सुदृढ़ करने, और आपदा के समय संचालन को सुगम और तीव्र बनाने के उपाय शामिल करेगा।
  2. कला, संस्कृति और धार्मिक स्थलों का संरक्षण: गंगा नदी भारतीय संस्कृति और धार्मिकता का महत्वपूर्ण प्रतीक है। नमामि गंगे योजना के अंतर्गत गंगा के आस-पास स्थित कला, संस्कृति और धार्मिक स्थलों का संरक्षण और विकास हो रहा है। इससे इन स्थलों का संरक्षण होगा और पर्यटन के अलावा संस्कृति और धर्म संबंधी गतिविधियों को भी प्रोत्साहित किया जाएगा।
  1. नदी की अवधारणा: नमामि गंगे योजना के तहत गंगा नदी की अवधारणा को बढ़ाने के लिए कई कार्रवाईयाँ की जा रही हैं। इसके तहत नदी के अवधारणा और जलस्तर को नियंत्रित करने के उपाय शामिल हैं, जैसे कि बांधों का निर्माण, अपशिष्ट और मलबे के प्रबंधन, और जल की आपूर्ति का नियंत्रण।
  2. पारिस्थितिकी और जैव विविधता का संरक्षण: नमामि गंगे योजना गंगा क्षेत्र में पारिस्थितिकी और जैव विविधता का संरक्षण भी ध्यान में रखती है। इसके लिए वन्यजीव संरक्षण क्षेत्रों का विकास, नदी के नगरों में हरित घाट का निर्माण, और जैव विविधता के प्रतिस्थापन के उपाय अपनाए जा रहे हैं।
  3. नदी के किनारे समुद्री जीवन का संरक्षण: नमामि गंगे योजना के अंतर्गत गंगा के किनारे समुद्री जीवन का संरक्षण भी महत्वपूर्ण है। इसके लिए किनारे के मांगरों, मंगलबन्ध

Namami Gange Yojana की सफलता

नदी की सतह की स्वच्छता के लिए नमामि गंगे योजना के तहत, 11 स्थानों पर नदी की सतह पर और घाटों पर तैरते ठोस कचरे की सफाई का कार्य शुरू किया गया है। सिवरेज उपचार क्षमता की वृद्धि के लिए 64 योजनाएं कार्यान्वित की जा रही हैं। इनमें से 81 योजनाएं उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिमी बंगाल, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान राज्यों में पूरी की जा चुकी हैं।

जैव विविधता को बढ़ाने के लिए भारत सरकार ने गंगा नदी की सफाई के साथ-साथ कई ठोस कदम उठाए हैं। इसके तहत NMCG (National Mission for Clean Ganga) द्वारा स्थानिक और लुप्तप्राय जीवों को बहाल करने के लिए कार्य किए जा रहे हैं। इसके लिए उच्च जैव विविधता वाले क्षेत्रों की पहचान की गई है।

नदी के किनारे विकास के लिए 263 घाट, श्मशानघाट, कुंड और तालाबों के निर्माण, आधुनिकीकरण और नवीनीकरण के लिए 64 परियोजनाएं शुरू की गई हैं।

वनारोपण भी जैव विविधता के लिए महत्वपूर्ण है। इसके अंदर पेड़ और जंगलों को उगाने से नदियों की मिट्टी का कटाव कम हो सकता है और नदियों का संरक्षण संभव हो सकता है। Nmcg के तहत वन अनुसंधान संस्थान ने गंगा नदी के तट राज्यों उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में 1,34,106 हेक्टेयर क्षेत्र में कार्य करने की योजना बनाई है। इसमें प्राकृतिक परिदृश्य, कृषि परिदृश्य, शहरी परिदृश्य और संरक्षण हस्तक्षेप शामिल हैं।

औद्योगिक बहिर्जल निगरानी के तहत, ग्रॉसली पॉल्यूटिंग इंडस्ट्रीज की संख्या अप्रैल 2019 में 1072 थी। इन प्रदूषणकारी उद्योगों की नियमित जांच के बाद उन्हें पर्यावरण मापदंडों का पालन करने के लिए मजबूर किया गया है और 215 तकनीकी संस्थानों को बंद कर दिया गया है। 110 जीपीआइ (Ganga Praharis) के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है।

जागरूकता बढ़ाने के लिए नमामि गंगे योजना के अंतर्गत विभिन्न प्रकार के सम्मेलन, संगोष्ठी और रैलियां आयोजित की जा रही हैं। नमामि गंगे योजना की जागरूकता को गांवों में बढ़ाने के लिए स्थानीय युवा कैडरों की नियुक्ति की गई है। सरकार द्वारा टेलीविजन, रेडियो, प्रिंट मीडिया विज्ञापन और विभिन्न लेखों के माध्यम से नमामि गंगे योजना का प्रचार किया जा रहा है।

“ग्राम गंगा” के तहत पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय ने उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में स्थित गंगा नदी के किनारे 1674 ग्राम पंचायतों को मनाया है। मिनिस्ट्री ऑफ ड्रिंकिंग वॉटर एंड सैनिटेशन ने इन पंचायतों में 578 करोड़ रुपये की लागत से 15,27,105 शौचालय बनाने की योजना बनाई है। इनमें से आधी से अधिक शौचालयें पहले से ही निर्मित हो चुकी हैं।

FAQ Namami Gange Project

नमामि गंगे योजना की ऑफिसियल वेबसाइट क्या है? नमामि गंगे योजना की आधिकारिक वेबसाइट का नाम “https://nmcg.nic.in/” है। आप इस वेबसाइट पर जाकर नमामि गंगे योजना से संबंधित विवरण, परियोजनाओं की जानकारी, नवीनतम समाचार और तकनीकी दस्तावेज़ों को प्राप्त कर सकते हैं।

नमामि गंगे योजना का उद्देश्य क्या है? गंगा नदी को स्वच्छ सुरक्षित और प्रदूषणमुक्त बनाना है

Namami Gange Project शुरुआत कब हुई थी? जून 2014

Hindiyojna

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